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राखीगढ़ी की साइट नंबर एक के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार से रोकने पर भड़के ग्रामीण

नारनौंद। राखीगढ़ी की साइट नंबर एक पर ग्रामीणों की तरफ से अंतिम संस्कार करने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। प्रशासन का तर्क है कि यह जमीन अब पुरातत्व विभाग की जमीन है। ग्रामीणों के श्मशान घाट के लिए प्रशासन अलग से जमीन की व्यवस्था कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक श्मशान घाट के लिए अलग से जमीन नहीं मिल जाती तब तक वह यहीं पर अंतिम संस्कार करेंगे। इसे लेकर मंगलवार को सुबह 10 बजे साइट नंबर एक पर ग्रामीणों ने धरना शुरू कर दिया, जिसकी अध्यक्षता संदीप लौरा ने की।

पूर्व सरपंच राजबीर, संदीप ढांडा, सुंदर, राजीव, जोगी राम, सीता राम, काला वाल्मीकि, सुलोचना, बीरमती ने बताया कि सैकड़ों वर्षों से उनके बुजुर्ग इसी जगह पर अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। अभी तक इसे लेकर कोई एतराज नहीं था। रविवार को राखी गढ़ी के बुजुर्ग प्रेमा की मौत हो गई थी और साइट नंबर एक के सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें शव का दाह संस्कार करने से रोक दिया, लेकिन बाद में वह मान गया था। वहीं सोमवार को राखी गढ़ी निवासी धूप सिंह व राजा की मौत हो गई थी। ग्रामीण उनके दाह संस्कार के लिए जब साइट नंबर एक पर पहुंचे तो साइट नंबर एक के सिक्योरिटी गार्ड गेट को ताला लगाकर कहीं चला गया। करीब साढ़े 6 बजे तक ग्रामीण गेट खुलने का इंतजार करते रहे। इसके बाद गेट का ताला तोड़कर दोनों शवों का अंतिम संस्कार कर दिया।

ग्रामीणों का कहना है कि टीला नंबर एक पर गांव का पुराना श्मशान घाट है। इसमें दाह संस्कार के लिए शेड भी बने हैं। मगर प्रशासन ने टीला नंबर एक पर गेट लगाकर चौकीदार तैनात कर दिए और ग्रामीणों को अंतिम संस्कार करने से रोका जा र हा है। अभी तक प्रशासन ने उन्हें इसके बदले कहीं पर भी कोई जमीन नहीं दी है। ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन म्यूजियम के साथ पंचायत की एक एकड़ जमीन दाह संस्कार के लिए दी जाए। इसका प्रस्ताव भी पंचायत की तरफ से दिया जा चुका है। वहां तक का रास्ता पक्का किया जाए। उस जगह की मिट्टी से भर्ती करवाई जाए और उसकी चहारदीवारी बनवाई जाए।

नारनौंद के बीडीपीओ सत्यवान और खेड़ी जालब के नायब तहसीलदार सुरेश कुमार ज्वाइंट कमेटी गठित की है। इसे जल्द से जल्द जमीन चिह्नित करने के आदेश दिए हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पहले भी पत्र लिखकर साइट नंबर एक पर दाह संस्कार करने से मना कर चुका है, क्योंकि यह जमीन अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत आती है। – विकास यादव, एसडीएम, नारनौंद

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