चंडीगढ़ में जज ने करवाया पति-पत्नी का समझौता:11 हजार देकर बोले- ये मेरी तरफ से शगुन समझो और केस खत्म करो
चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में पहली बार एक अनोखा वाकया देखने को मिला। पति-पत्नी एक साथ रहने को तैयार नहीं थे। पत्नी ने पति पर हर महीने खर्चा देने का केस डाल दिया। पति एक साथ 12 लाख रुपए देकर रिश्ता खत्म करना चाहता था, लेकिन पत्नी इस बात पर अड़ गई कि इस रकम पर समझौता नहीं करेगी। आखिर में जज ने दोनों पार्टियों में समझौता करवाने के लिए अपनी तरफ से 11 हजार रुपए का शगुन लड़की को दिया और केस खत्म करवा दिया।
पत्नी भी आखिर में इस बात पर सहमत हो गई और फिर दोनों में 12 लाख 11 हजार रुपए में समझौता हो गया। अब पति को दो किस्तों में ये रकम पत्नी को देनी होगी। दोनों पार्टियां सहमति से तलाक लेने को राजी हो गई हैं। दरअसल, पति-पत्नी रिश्ता खत्म करना चाहते थे और एक साथ रहने को तैयार नहीं थे। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट भरत की कोर्ट में युवती ने सीआरपीसी 125 के तहत मेंटेनेंस यानी खर्चा देने का केस फाइल किया था और पति से हर महीने 80 हजार रुपए खर्चा मांगा। लेकिन पति ने केस लड़ने के बजाय एक साथ खर्चा देने की बात कही।
पति के वकील ने कहा कि हम एक साथ 4 लाख रुपए देंगे, लेकिन पत्नी 15 लाख रुपए मांग रही थी। आखिर में पति ने 12 लाख रुपए देकर मामला खत्म करने की बात की, लेकिन इस रकम पर भी पत्नी राजी नहीं थी। ऐसे में जज ने कहा कि 12 लाख रुपए के ऊपर 11 हजार रुपए मैं अपनी तरफ से लड़की को शगुन के तौर पर दे रहा हूं। पहले तो दोनों पक्षों ने जज से पैसे लेने से इनकार किया, लेकिन बाद में जज ने अपने स्टाफ को भेजकर एटीएम से 11 हजार रुपए निकलवाए और ये रकम लड़के के वकील को दी और कहा कि वे 12 लाख रुपए में ये रकम जोड़कर कर पत्नी को दे दो।
पत्नी ने कहा- रिश्तेदारों के भरोसे रह रही हूं…
पत्नी का कहना था कि वह 2021 से अपने मायके में रह रही थी। उसके पास कमाई का कोई साधन नहीं है, पूरी तरह से अपने भाई और रिश्तेदारों के भरोसे है। उसने कहा कि वह पति के साथ नहीं रहना चाहती। उसके रवैये से तंग आकर ही अलग रहने को मजबूर हुई। युवती ने कहा कि उसका पति एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में अच्छी पोस्ट पर है। उसकी महीने की इनकम 56 हजार रुपए है। इसके अलावा बिजनेस भी है और यूपी में आम के बाग हैं। उसकी सालाना इनकम 15 से 18 लाख रुपए है। इसलिए उसने हर महीने 80 हजार रुपए खर्चा देने की मांग की।
ये ऐतिहासिक फैसला, जज की पहल सराहनीय…
लड़के का केस लड़ने वाले एडवोकेट रमन सिहाग ने कहा कि ये ऐतिहासिक फैसला है। जज ने एक केस को खत्म करने के लिए जो पहल की वह बेहद सराहनीय है। पति-पत्नी एक साथ रहने को तैयार नहीं थे। अगर केस चलता तो दोनों को कई साल तक भुगतना पड़ता। जज के प्रयास से मामला जल्द खत्म हो गया। वैसे भी हमारी कोर्ट मीडिएशन पर जोर दे रही हैं ताकि ऐसे मामलों में लोगों को कोर्ट-कचहरी के चक्कर न काटने पड़ें।