झारखंड के मंत्री का बेटा चपरासी बना:सिविल कोर्ट में फोर्थ ग्रेड में सिलेक्शन, कहा- पिता राजनीति में तो जरूरी नहीं कि मैं भी रहूं
झारखंड सरकार के एक मंत्री के बेटे का चयन चपरासी पद के लिए हुआ है। सिलेक्शन चतरा व्यवहार न्यायालय में हुआ है। शुक्रवार 1 दिसंबर से ही इस बात की चर्चा है। जानकारी के मुताबिक झारखंड के श्रम नियोजन सह प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे का सिलेक्शन प्यून के लिए हुआ है। उनके बेटे का नाम मुकेश कुमार भोक्ता (28) है। वह मंत्री सत्यानंद भोक्ता के तीसरे बेटे हैं।
चतरा व्यवहार न्यायालय की तरफ से सिलेक्शन लिस्ट जारी की गई। इसी लिस्ट के पहले पेज के 13वें नंबर पर मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश का नाम है। सिलेक्शन ST कैटेगरी में हुआ है। मुकेश का कहना है कि पिता राजनीति में हैं। इसका मतलब ये नहीं कि मैं भी इसी में रहूं। मैं नौकरी करूंगा।
बेटे ने कहा – करूंगा नौकरी
राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश ने आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया है। मुकेश भोक्ता का कहना है कि जिस पोस्ट के लिए मेरा चयन हुआ है, वही नौकरी करूंगा। फाइनल सिलेक्शन से पहले इंटरव्यू हुआ था, जिसमें शामिल होने के बाद अंतिम चयन सूची में नाम आया।
1 दिसंबर को आए रिजल्ट में 19 उम्मीदवारों का सिलेक्शन
चतरा कोर्ट की ओर से चपरासी, ट्रेजरी मैसेंजर, दफ्तरी और नाइट गार्ड पद पर नियुक्ति का रिजल्ट 1 दिसंबर को जारी किया गया। चार पन्ने में जारी रिजल्ट में उक्त चारों पदों के लिए 19 उम्मीदवारों का चयन किया गया। इसी रिजल्ट में प्यून पद की फाइनल सिलेक्टेड लिस्ट के 13वें नंबर पर मंत्री सत्यानंद भोक्ता के बेटे मुकेश हैं। वहीं, लिस्ट में रामदेव कुमार भोक्ता भी हैं। रामदेव, मंत्री सत्यानंद भोक्ता के भतीजे हैं। इनका फाइनल सिलेक्शन तो नहीं हुआ, ये वेटिंग लिस्ट में हैं।
12 दिसंबर तक करना है जॉइन
चतरा कोर्ट की ओर से जारी रिजल्ट पत्र में कहा गया कि चयनित उम्मीदवारों को 15 दिसंबर या इससे पहले जॉइन करना होगा। सिलेक्टेड कैंडिडेट्स को जॉइनिंग के वक्त ओरिजिनल डॉक्यूमेंट, मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट देने होंगे। वहीं, उम्मीदवारों को यह लिख कर देना होगा कि वे ना तो दहेज लेंगे और ना ही देंगे। इस संबंध में मंत्री सत्यानंद भोक्ता से उनके मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई, पर बात नहीं हो सकी।
कौन हैं सत्यानंद भोक्ता
सत्यानंद भोक्ता चतरा विधानसभा सीट से आरजेडी से विधायक हैं। वे राज्य के श्रम नियोजन सह प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री भी हैं। अपनी पार्टी के इकलौते विधायक और मंत्री हैं। भोक्ता ने साल 2000 में पहली बार भाजपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। तब उन्होंने आरजेडी विधायक जनार्दन पासवान को हराया और पहली बार विधायक बने।
इसके बाद साल 2004 में भी वे विधायक बने। साल 2014 में जब भाजपा से उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी। फिर साल 2019 में आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बने। राज्य में बनी हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया।
विवादों में रही थी बेटे मुकेश की शादी
जिस बेटे की नौकरी चतरा कोर्ट में लगी है, उसकी शादी भी विवादों में रही है। साल 2022 में उसकी शादी हुई थी। तब खरवार भोगता समाज विकास संघ ने कहा था कि मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए बेटे की शादी दूसरे कास्ट में कराई है। समाज की ओर से मंत्री सत्यानंद भोक्ता को सामाजिक बहिष्कार का फरमान सुनाया गया था। तब सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि प्रदेश में भोगता समाज की पहचान सत्यानंद भोक्ता से है। मैं खुद भोगता समाज का केंद्रीय अध्यक्ष हूं। बहिष्कार का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उनका सामाजिक बहिष्कार किया वे खुद बहिष्कृत हैं।