रेवाड़ी में 13 साल बाद मिला जिंदा होने का सबूत:बुजुर्ग पेंशन लेने गए तो बोले- आप तो मर चुके; फौजी की जगह उनको मरा दिखाया
रेवाड़ी में 70 साल का एक बुजुर्ग खुद के जिंदा होने के सबूत के तौर पर 13 साल तक अपना चेहरा अलग-अलग सरकारी कार्यालय में दिखाता रहा, लेकिन मजाल किसी ने उसे जिंदा माना हो। क्योंकि उसे रिकॉर्ड में मृत घोषित किया जा चुका था। तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलना बंद हो गया।
कई बार बड़े ऑफिसर के यहां भी दस्तक दी, लेकिन कागजातों का हवाला देकर वहां भी तौबा कर ली गई। आखिर में गुरुवार को उसके गांव खेड़ा मुरार में पहुंची प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकसित भारत संकल्प यात्रा में उसे जिंदा होने का सबूत मिल गया।
यात्रा का शुभारंभ करने पहुंचे प्रदेश के सहकारिता एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने उन्हें मंच पर बुलाया और अलाउंस किया कि वो आज से जिंदा हो गए हैं, क्योंकि उन्हें रिकॉर्ड में मृत दिखाया हुआ था। ऐसे में उन्हें अब सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना भी शुरू हो जाएगा
13 साल पहले मृत दिखाया
दरअसल, रेवाड़ी जिले के कस्बा बावल के अधीन आने वाले गांव खेड़ा मुरार निवासी दाताराम पुत्र बिहारी की जिंदगी में 58 साल की उम्र तक सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा। मगर, उसके बाद 13 साल पहले अचानक उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया। इसका पता उन्हें तब चला जब वह पेंशन जैसी सुविधाओं के लिए सरकारी कार्यालय में जाने लगे।
वे पेंशन बनवाने के दस्तावेज लेकर कार्यालय में पहुंचे तो कर्मचारी ने रिकॉर्ड चेक कर बता दिया कि वो तो सरकारी दस्तावेज के अनुसार मर चुके है। ये सुनकर दाताराम भी चौंक गए। दाताराम अपनी फाइल को लेकर दूसरे अधिकारियों के पास गए, लेकिन वहां भी हाथ खड़े कर दिए गए।
इसी नाम के व्यक्ति की हुई थी मृत्यु
अपने स्तर पर जानकारी जुटाई तो पता चला कि 13 साल पहले उनके ही गांव के जिस दाताराम पुत्र बिहारी लाल की मृत्यु हुई थी, लेकिन उसकी जगह पर उसे रिकॉर्ड में मृत दिखा गया है। दूसरे दाताराम आर्मी में सर्विस करते थे, जबकि ये दाताराम खेतीबाड़ी का काम करते है।
इसके भी सबूत एकत्रित कर दाताराम फिर से सरकारी कार्यालय में चक्कर काटने लगे। लेकिन कोई उन्हें जिंदा मानने को तैयार ही नहीं हुआ। शिकायतें चंडीगढ़ मुख्यालय तक भेजी। इन शिकायतों का जवाब तो जरूर आया, लेकिन रिकॉर्ड में उन्हें मृत दर्शाए रखा।
किसी ने नहीं की सुनवाई, थक हार कर घर बैठ गए
दाताराम बताते हैं कि वे कई बार बावल में एसडीएम से लेकर नीचे के अधिकारियों और रेवाड़ी मुख्यालय पर डीसी से लेकर अन्य अधिकारियों से मिले। उनकी एक ही फरियाद थी कि उन्हें रिकॉर्ड में जिंदा दिखा दिया जाए, क्योंकि वो खुद जिंदा है और उनके गांव के दूसरे दाताराम की मृत्यु हुई है। ऐसे में उनकी पेंशन भी नहीं बन रही है।
पेंशन तो छोड़ों उन्हें मिलने वाली दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिलना बंद हो गया। थक हारकर घर बैठ गए। आखिर में गुरुवार को उनके गांव में पहुंचे मंत्री डा. बनवारी लाल ने उन्हें मंच पर बुलाया और मंच से बताया कि आज से वो जिंदा हो गए है। उन्हें उम्मीद है कि अब जल्द ही पेंशन और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।