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सुनीता विलियम्स तीसरी अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार:6 मई को बोइंग के कैप्सूल से स्पेस में जाएंगी; कोरोना के चलते टला था मिशन

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स 6 मई को अपनी तीसरी अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगी। वो बोइंग के स्टारलाइनर कैलिप्सो मिशन का हिस्सा होंगी। अमेरिका स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक, मिशन के लिए 2 सीनियर साइंटिस्ट बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स को चुना गया है।

फिलहाल सुनीता बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट पर क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन के पायलट की ट्रेनिंग ले रही है। बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को 6 मई को रात 10 बजकर 34 मिनट पर एलायंस एटलस वी रॉकेट पर लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के लिए नासा की मदद ली गई है।

दो हफ्ते तक ISS में रहेंगे दोनों अंतरिक्ष यात्री
अमेरिका स्पेस एजेंसी कल (25 अप्रैल) स्पेसक्राफ्ट के बारे में पूरी जानकारी साझा करेगी। स्पेस एजेंसी के मुताबिक, स्पेसक्राफ्ट को फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन के स्पेस लॉन्च कॉम्प्लेक्स-41 से लॉन्च किया जाएगा।

दोनों यात्री दो हफ्ते तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहेंगे। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। दरअसल, पहले यह स्पेसक्राफ्ट जुलाई 2022 में रवाना होने वाला था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे एक साल के लिए टाल दिया गया था।

ट्रेनिंग सेंटर में सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर। सुनीत विलियम्स इससे पहले 2 बार अंतरिक्ष यात्रा पर जा चुकी हैं। - Dainik Bhaskar
ट्रेनिंग सेंटर में सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर। सुनीत विलियम्स इससे पहले 2 बार अंतरिक्ष यात्रा पर जा चुकी हैं।

अंतरिक्ष यान और स्टारलाइनर के बीच क्या अंतर है?
अंतरिक्ष यान और बोइंग स्टारलाइनर बहुत अलग हैं। अंतरिक्ष यान अपनी कक्षा में लंबे समय तक रह सकता है, जबकि बोइंग स्टारलाइनर के पास अपनी कक्षा में कम समय होता है।

अंतरिक्ष यान ज्यादा सामान नहीं ले जाता है, लेकिन बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष में उपकरण, दूसरे ग्रह के लिए सामान ले जा सकता है। अगर बोइंग स्टारलाइनर का यह मिशन सफल होता है, तो इससे स्पेस टूरिज्म के नए दरवाजे खुलेंगे।

‘टैक्सी सर्विस’ जैसी होगी धरती से अंतरिक्ष की यात्रा
इस बोइंग स्टारलाइनर कैलिप्सो के जिस हिस्से में इंसानों को बैठना है, वह एक गोलाकार चोंच जैसा है जिसे कैप्सूल कहा जाता है। कैप्सूल रॉकेट के साथ अंतरिक्ष में जाएगा। इसे अंतरिक्ष की कक्षा में जाकर दूसरे ग्रहों पर आसानी से उतारा जा सकता है, सामान पहुंचाया जा सकता है, इस बारे में रिसर्च होगा।

अगर यह मिशन सफल होता है तो नासा के लिए यह ‘टैक्सी सर्विस’ जैसा आसान सफर बन जाएगा। क्‍योंकि पृथ्‍वी से कोई भी सामान, वस्‍तु आसानी से दूसरे ग्रहों तक पहुंचाई जा सकती है। इस कैप्सूल में सामान रखने के लिए एक ट्रंक भी है।

सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष में सफर
सुनीता विलियम्स का जून 1998 में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में चयन हुआ था। 9 दिसंबर 2006 को सुनीता विलियम्स पहली बार स्पेस में गईं थी। उन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजे गए 14वें शटल डिस्कवरी के साथ रवाना किया गया था। इसके बाद 2012 में उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा शुरू हुई थी। तब उन्होंने कजाकिस्तान के बैकोनूर से रूसी रॉकेट सोयूज टीएमए-05एम से उड़ान भरी थी।

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