पतित-पावनी गंगा की शुचिता पैसे लेकर काम करने वाले पतितों के बीच भी बनी हुई है। इसका एक और प्रमाण हरियाणा में सिरसा जिला के डबवाली तहसील में उस समय सामने आया जब गंगाजल की झूठी कसम के परिणाम के भय से एक सब्जी विक्रेता को बिना सुविधा शुल्क दिये ही जमीन की रजिस्ट्री मिल गई।

डबवाली निवासी सब्जी विक्रेता दर्शन मोंगा के आवासीय प्लाट की रजिस्ट्री सात जून को हुई थी। वह रजिस्ट्री की कापी पाने के लिए कई दिनों से तहसील के चक्कर काट रहे थे। जमीन के डीड राइटर का कहना था कि साहब को 10 हजार रुपये देने पड़ेंगे, तब रजिस्ट्री मिलेगी।

‘गंगाजल की कसम खा सकता…

साहब ने रजिस्ट्री अपने पास रखी है। चक्कर काट थक चुका दर्शन नायब तहसीलदार रणवीर के समक्ष पहुंचा। उनसे रजिस्ट्री मांगते हुए सब्जी विक्रेता ने कहा कि वह 10 हजार रुपये नहीं देगा। नायब तहसीलदार ने गंगाजल मंगवाने के लिए कहा। यह भी कहा कि उन्होंने किसी से सुविधा शुल्क नहीं मांगा है। वह गंगाजल की कसम खा सकता है। मोंगा बुधवार को गंगाजल लेकर आए।

झट से हो गया काम

टेबल पर गंगाजल देख नायब तहसीलदार के होश उड़ गए। संबंधित डीड राइटर तथा प्रापर्टी डीलर को बुलाया। वे दोनों पेश हुए। प्रापर्टी डीलर बोला-डीड राइटर ने कहा है कि साहब 10 हजार रुपये मांगते हैं। डीड राइटर ने इससे इन्कार कर दिया। हालांकि नायब तहसीलदार ने भी गंगाजल की कसम नहीं उठाई। लेकिन टेबल पर गंगाजल की बोतल देखते हुए उन्होंने प्लाट की रजिस्ट्री दे दी।