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हरियाणा की राज्यसभा सीट के लिए जाट चेहरे पर दांव खेल सकती है भाजपा!

चंडीगढ़ : राज्यसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही हरियाणा की एक राज्यसभा सीट के लिए 27 फरवरी को होने वाले मतदान को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है और भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी इन चुनावों को लेकर कमर कस ली गई है। विधायकों की संख्या के अनुपात के हिसाब से भाजपा कोटे से हरियाणा से राज्यसभा का सदस्य चुना जाना तय है। सियासी विश्लेषकों के अनुसार जातीय समीकरणों को साधते हुए भाजपा की ओर से इस एक सीट के लिए किसी जाट चेहरे को राज्यसभा का सदस्य बनाया जा सकता है। ऐसे में पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला एवं पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यू का नाम चर्चा में है।bjp can bet on jat face for rajya sabha seat of haryana

राज्यसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही हरियाणा की एक राज्यसभा सीट के लिए 27 फरवरी को होने वाले मतदान को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है और भारतीय जनता पार्टी की ओर से भी इन चुनावों को लेकर कमर कस ली गई है।

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा के चुनाव के लिए 8 फरवरी को अधिसूचना जारी की जाएगी। चुनाव शैड्यूल के अनुसार 15 फरवरी तक नामांकल पत्र दाखिल किए जा सकेंगे और 16 फरवरी को नामांकन पत्रों की जांच की जागी। 20 फरवरी तक उम्मीदवार अपने नामांकन वापस ले सकते हैं और 27 फरवरी को मतदान होगा। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों की ओर से किया जाता है और राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष तक रहता है। भाजपा से राज्यसभा के सदस्य डी.पी. वत्स का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है और उनका कार्यकाल खत्म होने पर रिक्त हो रही एक सीट के लिए ही हरियाणा में चुनाव होने हैं।

सियासी विश्लेषकों का मानना है कि जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले ओमप्रकाश धनखड़ का प्रदेशाध्यक्ष के रूप में कार्यकाल खत्म होने के बाद पिछड़ा वर्ग को रिझाने के मकसद से ही पिछले साल 27 अक्तूबर को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था। इससे पहले 2019 के विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले भाजपा के बड़े नेता कैप्टन अभिमन्यू, ओमप्रकाश धनखड़ एवं सुभाष बराला चुनाव हार गए थे।

प्रदेश में जाट समुदाय के करीब 23 फीसदी मतदाता हैं। ऐसे में अब जातीय संतुलन को साधने के मकसद से पार्टी शीर्ष नेतृत्व की ओर से जाट समुदाय से संबंध रखने वाले किसी नेता को राज्यसभा का सदस्य बनाया जा सकता है। वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो हरियाणा की कुल 5 राज्यसभा सीटों में कांग्रेस की ओर से दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा के सदस्य हैं। हुड्डा जाट समुदाय से संंबंध रखते हैं। जबकि 4 अन्य सीटों में से 3 पर भाजपा का कब्जा है। इनमें रामचंद्र जांगड़ा पिछड़ा वर्ग, डी.पी. वत्स ब्राह्मण समुदाय से, कृष्ण लाल पंवार अनुसूचित जाति से जबकि भाजपा समर्थित आजाद राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में हरियाणा से भाजपा जाट समुदाय के किसी नेता को राज्यसभा में भेजकर जातीय संतुलन साधने का प्रयास कर सकती है। हरियाणा से राज्यसभा की एक सीट के लिए अब सुभाष बराला, ओमप्रकाश धनखड़ व कैप्टन अभिमन्यू का नाम चर्चा में है तो किसी नए चेहरे को भी भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा मैदान में उतारा जा सकता है।

मुख्यमंत्री की पसंद माने जाते हैं सुभाष बराला

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पसंद माने जाते हैं। सुभाष बराला विद्यार्थी समय से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय हो गए थे। साल 2000 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा फतेहाबाद के जिला सचिव बने। 2002 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 2005 में पहली बार टोहाना से चुनाव लड़ा, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। 2009 में दूसरी बार टोहाना सीट से चुनाव हार गए। 2012 में उन्हें भाजपा प्रदेश महामंत्री नियुक्त किया गया। 2014 में पहली बार टोहाना से विधायक चुने गए। 24 नवंबर 2014 को शीर्ष नेतृत्व ने बराला को पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया और वे इस पद पर जुलाई 2020 तक रहे। इस बीच अक्तूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें टोहाना सीट से जननायक जनता पार्टी के देवेंद्र बबली ने पराजित किया। साल 2020 में मुख्यमंत्री ने उन्हें हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो का चेयरमैन बनाया। पिछले साल 23 नवंबर को उन्हें हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण का चेयरमैन भी नियुक्त किया गया। मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र बराला को राज्यसभा भेजने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल विशेष प्रयास कर सकते हैं।

46 वर्ष से सियासत में सक्रिय हैं धनखड़

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का राजनीति में 46 वर्ष का लंबा अनुभव है। 20 जुलाई 2020 को उन्हें भारतीय जनता पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया और वे इस पद पर करीब सवा तीन वर्ष तक रहे। संगठन में धनखड़ का लंबा अनुभव है। वे भाजपा किसान प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक रह चुके हैं। 2014 में मनोहर लाल खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में धनखड़ बादली विधानसभा सीट से जीतकर विधायक बने थे। इसके बाद उन्हें कृषि, मत्स्य, नहरी मंत्री बनाया गया था। उनके राजनीतिक कॅरियर की बात करें तो वे 1978 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़ गए थे। इसके बाद विद्यार्थी जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया। उन्होंने धीरे-धीरे संगठन में अपनी जगह बनाई। भाजपा की राष्ट्रीय व क्षेत्रीय इकाइयों में कई पदों पर रहे। वर्तमान में वे पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं। प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी के संगठन को मजबूत किया तो पन्ना प्रमुखों की संख्या के वांछित लक्ष्य को भी पूरा किया।

कैप्टन अभिमन्यू को भी है राजनीति में लंबा अनुभव

कैप्टन अभिमन्यू लंबे से भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय हैं। 2014 में कैप्टन अभिमन्यू नारनौंद से विधायक चुने गए। इसके बाद वे हरियाणा में भाजपा की पहली सरकार में वित्त एवं राजस्व, आबकारी एवं काराधान, उद्योग एवं वाणिज्य, वन, श्रम, रोजगार एवं पर्यावरण मंत्री रहे। कैप्टन अभिमन्यू संगठन में प्रदेश महासचिव से लेकर उत्तरप्रदेश के सह-प्रभारी, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के अलावा लोकसभा चुनाव में पजाब और चंडीगढ़ लोकसभा चुनावों के प्रभारी भी रहे। कैप्टन अभिमन्यू ने 1987 से 1993 में भारतीय सेना में कमीशंड ऑफिसर के रूप में थल सेना में सेवा की। 2003 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के लिए प्रबंधन टीम के सदस्य बने और पहली बार 2003 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी। 2004 में कैप्टन अभिमन्यू ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में रोहतक लोकसभा का चुनाव लड़ा। 2005 में रोहतक संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में वे फिर से भाजपा के उम्मीदवार रहे। 2005 से 2009 तक दो बार हरियाणा भाजपा के महासचिव पद के दायित्व का निर्वहन सफलतपूर्वक किया। जब अमित शाह उत्तरप्रदेश चुनाव के प्रभारी थे, उस समय कैप्टन अभिमन्यू को सह-प्रभारी का दायित्व दिया गया था। कैप्टन अमित शाह के काफी नजदीकी माने जाते हैं।

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