हिसार में इनेलो को झटका:आदमपुर उपचुनाव कैंडिडेट कुरड़ाराम ने पार्टी छोड़ी; हुड्डा ने कांग्रेस में टिकट नहीं दी थी, सैलजा-किरण को सराहा
हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को झटका लगा है। हिसार में आदमपुर उपचुनाव में इनेलो के प्रत्याशी रहे कुरड़ाराम ने पार्टी छोड़ दी है।
गुरुवार को हिसार में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुरड़ाराम ने कहा- “वे लंबे समय से पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। आदमपुर विधानसभा में तन-मन-धन से उन्होंने पार्टी की सेवा की और पूरे समर्पण भाव से सच्चे सिपाही की तरह चुनाव लड़ा। उनको जाे मान सम्मान मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला।
पार्टी प्रमुख को बार-बार अवगत कराया, लेकिन उल्टा उन्हें ही प्रताड़ित किया गया। इसके चलते वे आज अपने सभी समर्थकों व साथियों के साथ इनेलो छोड़ रहे हैं। आगे वह किस पार्टी को जॉइन करेंगे, इसको लेकर वह साथियों की बैठक बुलाकर विचार विमर्श करने के बाद निर्णय लेंगे।”
हुड्डा पर कटाक्ष, सैलजा-किरण की तारीफ की
कुरड़ाराम ने कहा कि भूपेंद्र सिह हुड्डा ने उन्हें आदमपुर उपचुनाव में टिकट नहीं दी। वह कांग्रेस से 42 सालों से जुड़े हुए थे। इस वजह से वह इनेलो पार्टी में गए लेकिन वहां भी उन पर ध्यान नहीं दिया गया।
कुमारी सैलजा और किरण चौधरी से उनके अच्छा संबंध है। वह उनके आवास पर जाते रहे हैं। दोनों नेत्री पार्टी की मजबूती के लिए काम कर रही हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी का नाम फाइनल होते ही छोड़ी पार्टी
साल 2023 में हुए आदमपुर उपचुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। नाम फाइनल होने के तुरंत बाद कुरड़ाराम ने कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके 15 मिनट के अंदर उन्होंने अभय चौटाला की मौजूदगी में इनेलो पार्टी जॉइन कर ली। इसके बाद इनेलो ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित किया। उपचुनाव में कुरड़ाराम को 5248 वोट मिले थे।
बंसीलाल के करीबी रहे कुरड़ाराम
कुरडाराम पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के करीबी रहे। बंसीलाल जब कांग्रेस में थे तो वे उनके साथ कांग्रेस में थे। कांग्रेस छोड़ने के बाद बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बना ली। हविपा की टिकट पर 2000 में आदमपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा। तब उन्हें 3416 वोट मिले थे।
इसके बाद बंसीलाल ने हविपा का कांग्रेस में विलय कर दिया। कुरड़राम कांग्रेस में प्रदेश संगठन सचिव, जिला महामंत्री, लोहारू हलका पर्यवेक्षक रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने जल संघर्ष समिति का गठन किया। पिछले 4 साल से वे आदमपुर में जल संघर्ष समिति के तहत आदमपुर क्षेत्र में पानी के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त किसान आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं।