हांसी के ऐतिहासिक किले की ईंटों व मिट्टी के भरे सैंपल, किस सभ्यता से मेल खाता है चलेगा पता
हांसी शहर का ऐतिहासिक किला किस सभ्यता से जुड़ा है, इसका पता लगाने के लिए हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड (एचएसएचडीबी) ने कवायद शुरू कर दी है। बोर्ड के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच ने सोमवार को किले का निरीक्षण किया और मिट्टी व ईंटों के सैंपल लिए। वहीं राखीगढ़ी से मिट्टी, ईंट व एक टूटी हुई मूर्ति के सैंपल मंगवाए हैं। इन सैंपल को निरीक्षण के लिए देहरादून की प्रयोगशाला में भेजा जाएगा। जांच से पता लगाया जाएगा कि किला कितना पुराना है व सरस्वती सिंधु घाटी सभ्यता से मेल खाता है या नहीं। उन्होंने कहा कि यहां खुदाई का कार्य शुरू करवाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पत्र लिखेंगे।
किरमच ने संभावना जताई कि इस किले को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। साथ ही यहां भारतीय पुरातत्व विभाग जल्द खुदाई का काम भी शुरू कर सकता है। किले पर निरीक्षण के लिए धूमन सिंह किरमच दोपहर 12 बजे पहुंचे और करीब डेढ़ घंटे तक रहे।
इसके बाद वह राखीगढ़ी के लिए रवाना हो गए। उपाध्यक्ष बनने के बाद यह उनका पहला दौरा था। इस दौरान उनके साथ भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक सैनी व महामंत्री धर्मवीर रतेरिया मौजूद रहे। उन्होंने किले पर बनी मस्जिद, कुआं, जैन स्तंभ का निरीक्षण किया। यहां से ईंटों के अवशेष लिए। किले के मुख्य द्वार व पार्क का भी निरीक्षण किया।
किरमच ने कहा कि यह साइट काफी पुरानी है व राखीगढ़ी के नजदीक है। इसका कैसे विकास कर सकते हैं व राखीगढ़ी से कैसे जोड़ सकते हैं। इसके प्रयास किए जाएंगे। सैंपल जांच के लिए लैब में भेजेंगे। इसमें डेढ़ से दो महीने का समय लगेगा। इसके बाद फिर टीम के साथ वापस आएंगे। राखीगढ़ी को यूनेस्को की तरफ से विश्व धरोहर साइट के रूप में घोषित किया जाए। इसके लिए हमने पत्राचार किया हुआ है। किले की खुदाई कराई तो अच्छे परिणाम आएंगे।