दिव्यांग छात्र की मेहनत और लगन देख Haryana Board को बदलना पड़ा अपना 54 सालों का इतिहास, उठाया ये कदम

जींद : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने दिव्यांग छात्र की मेहनत और लगन देख अपना 54 वर्षों का इतिहास बदल दिया। शहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का यह छात्र अब बोर्ड की परीक्षा घर से ही दे सकेगा। यह पहली बार हुआ है जब कोई छात्र बोर्ड परीक्षा घर से देगा। इतना ही नहीं छात्र के लिए घर पर ही पर्यवेक्षक तैनात किया जाएगा। छात्र को लेखन राइटर भी दिया जाएगा।

बोर्ड ने छात्र को घर से परीक्षा देने की अनुमति दी

बताया जा रहा है कि विद्यालय प्राचार्य राजेंद्र आजाद दृष्टि बाधित हैं और वह भिवानी स्थित बोर्ड कार्यालय जाकर चेयरमैन से मिले। उन्होंने छात्र आर्यांश की स्थिति से चेयरमैन को अवगत कराया। इसके बाद बोर्ड ने छात्र को घर से परीक्षा देने की अनुमति दी। राजेंद्र ने बताया कि आर्यांश होनहार छात्र है।

मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी से ग्रस्त है आर्यांश

बोर्ड के चेयरमैन डॉ. वीपी यादव ने बताया कि यह बच्चा मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी से ग्रस्त है, वह चल-फिर नहीं सकता। इस कारण बोर्ड ने घर पर ही परीक्षा केंद्र के समान सभी व्यवस्थाएं की हैं। उसे लेखक भी दिया गया। बोर्ड कर्मचारी ही घर पर प्रश्नपत्र लेकर जाएगा। उत्तरपुस्तिका भी वही लेकर आएगा। आब्जर्वर भी नियुक्त किया गया है, जिसकी निगरानी में परीक्षा होंगी।

जानें क्या है मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी

बता दें कि मस्कुलर डिस्ट्राफी एक आनुवांशिक बीमारी है। यह मांसपेशियों को कमजोर कर देती है। मांसपेशियों की बीमारी से संबंधित अन्य लक्षणों का कारण बनती है। चलने-फिरने की क्षमता को प्रभावित कर बहुत कम कर देती है। यह उन मासपेशियों को भी प्रभावित कर सकती है जो आपके हृदय और फेफड़ों को कार्य करने में मदद करती हैं।

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